उगऽ हो सुरुज देव..
देवी
मारबो हो सुगवा धनुष से
अनुराधा पोडवाल
पटना के घाट पर देबेलू अरघिया हो केकरा लागी
भरत शर्मा व्यास
अन धन दिहलू रतनवा
मोहन राठौर
काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकत जाय..
मनोज तिवारी
काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकत जाय..
कल्पना पटवारी
फूटी फूटी भोरही से रोए
पवन सिंह